घुटनों की सर्जरी से जुड़े मिथक
नी आर्थराइटिस कोई बीमारी नहीं है, बल्कि जोड़ों में सूजन, उनके घिसने की समस्या है। कई सारे आर्थराइटिस मरीज मनोवैज्ञानिक ब्लॉक की वजह से पीड़ादायक और सीमित जिंदगी जीते हैं, जिसकी वजह से वह सर्जरी के विकल्प को अपनाने से बचते रहते हैं। इसलिये घुटनों की सर्जरी से जुड़े मिथकों को तोड़ने की जरूरत है।
घुटने की प्रत्यारोपण सर्जरी बाद के बाद घुटने के बल बैठना या जमीन पर बैठना मुश्किल हो जाता है?
अधिकांश मरीज़ को लगता है कि घुटने के प्रत्यारोपण सर्जरी के बाद उनके घुटने को स्थानांतरित करना असंभव है। घुटने की प्रत्यारोपण सर्जरी में आपके रोगग्रस्त जोड़ को कृत्रिम जोड़ से सिर्फ बदला जाता है जिससे आप पहले की तरह शारीरिक गतिविधियाँ और अपने कार्य कर सकते है।
सर्जरी के बाद लगातार फिजियोथेरेपी करनी पड़ती है?
हां, लेकिन सिर्फ रिकवरी तक। ठीक होने के लिए सर्जरी के बाद मरीज़ो को १५ से २० दिन के लिए फिजियोथेरेपी सलाह दी जाती है । फिजियोथेरेपी शारीरिक गतिविधियाँ करने में मदद करेगी और यह मरीज को बिना दर्द के चलने, दौड़ने, तैरने, बैठने, आदि में मदद करती है।
मधुमेह या उच्च रक्तचाप या किसी हृदय रोग से पीड़ित होने पर घुटने की प्रत्यारोपण सर्जरी नहीं की जा सकती है?
मधुमेह या उच्च रक्तचाप या हृदय रोग से पीड़ित लोग घुटने कि प्रत्यारोपण सर्जरी करा सकते है। वास्तव में, घुटने की प्रत्यारोपण सर्जरी के लिए गुजरने वाले हर मरीज़ को पहले सर्जिकल प्रोफाइल जांच के लिए जाना पड़ता है जिससे डॉक्टर पता करते है की मरीज़ सर्जरी के लिए स्वस्थ है या नहीं। सारे सेफ्टी प्रोटोकॉल की जाँच के बाद ही मरीज़ को घुटने की प्रत्यारोपण सर्जरी के लिए कहा जाता है।
सर्जरी के लिए उम्र कोई बाध्यता है?
इसमें उम्र नहीं बल्कि चलना-फिरना मायने रखता है। रूमेटॉयड आर्थराइटिस के मरीज को बहुत ही कम उम्र में टीकेआर करवाने की जरूरत पड़ सकती है, जबकि ऑस्टियोआर्थराइटिस के मरीजों को इसे अधिक उम्र में लगभग 15 साल बाद करवाने की जरूरत पड़ती है।
यदि मरीज के घुटनों की मोबिलिटी वजह से चलना फिरना सीमित हो गया है और वह अपने दैनिक गतिविधियों को अच्छी तरह से नहीं कर पा रहे हैं, जैसे कि सीढियां चढ़ना, सैर पर जाना, तो उन्हें टीकेआर करा लेना चाहिए।
यदि कोई मरीज एक किलोमीटर या 2 किलोमीटर भी नहीं चल सकता तो उसके एक्सरे में गंभीर क्षति/बदलाव नजर आता है, तो बेहतर है कि सर्जरी करा ली जाए।
वैज्ञानिक उन्नति होने से जॉइंट इम्प्लांट्स में काफी बदलाव आ गये हैं। ये 20 से 25 सालों तक चलते हैं। 55 साल से अधिक उम्र के लोग जो टीकेआर करवाते हैं उन्हें अपने जीवनकाल में शायद ही दूसरी सर्जरी करवाने की नौबत आती है।
नी सर्जरी के बाद लोग एक्सराइज कर सकते हैं, साइकिल चला सकते हैं और लंबी दूरी की वॉक कर सकते हैं।
Dylan Johnston
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